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ताप्ती पर विकास की संभावनाओं का एक दृष्टिकोण                                               बैतूल जिले से निकलने वाली ताप्ती के किनारे स्थित पवित्र धार्मिक स्थल                   1. सांडिया - शाण्डिल मुनि का आश्रम एवं उनकी तपोभूमि ताप्ती जी की पदयात्रा / दर्शन यात्रा में पडऩे वाला पहला धार्मिक स्थान                                                        2. श्रवणतीर्थ - तवा अम्भोरा ताप्ती का त्रिवेणी संगम यहां पर श्रवण कुमार अपने माता - पिता को लेकर आए थे तीर्थाटन के समय                                                      3. पारसडोह - कपील मुनि की तपोभूमि यहंा पर पारस पत्थर ताप्ती नदी की बीच गहरी धार में स्थित खोह में मौजूद है।                                                                4. कोलगांव घाट - ताप्ती नदी पर स्थित बैतूल से आठनेर मार्ग पर पडऩे वाला पहला घाट    5.घुटीगढ़ - ताप्ती नदी के किनारे स्थित यह स्थान सूर्य की ताप्ती जल में पडऩे वाले किरणो के चलते रंग - बदलते पत्थरो के लिए जाना - जाता है।                                        6. अग्रि तोड़ा - यहां पर ताप्ती पूर्व मुखी बहती है तथा यहां पर मकर संक्राति को पूर्व मुखी ताप्ती पर मेला लगता है।                                                                7.बोरीक्रास - ताप्ती नदी की रचना ऊँ का निमार्ण करती है।                                      8. शिवधाम बारहलिंग - यहां पर मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम अपने भाई लक्ष्मण एवं माता सीता के संग आए थे। यहां पर राजा दशरथ सहित सभी रघुकूल में जन्मे व्यक्तियों का तर्पण कार्य किया था। यहां पर भगवान विश्वकर्मा जी ने बारह ज्योर्तिलंगो का निमार्ण कर श्री राम के द्वारा उनकी प्राण प्रतिष्ठा की गई। यहां पर भी  नदी के दोनो किनारे घाटो का निमार्ण नहीं हो सका है।                                                                                       9. खेड़ी घाट - बैतूल परतवाड़ा मार्ग पर ताप्ती नदी के किनारे बना दुसरा घाट जहां पर सभी प्रकार के संस्कार कार्यक्रम संपादति होते है। यहां पर भी  नदी के दोनो किनारे घाटो का निमार्ण नहीं हो सका है।                                                                       10. सूर्य मंदिर - ताप्ती के एक किनारे श्याम सुंदर महाराज के द्वारा निर्मित सूर्य मंदिर है जहां पर सूर्य भगवान अपनी पत्नि के संग विराजमान है। यहां पर भी नदी के दोनो किनारे घाटो का निमार्ण नहीं हो सका है।                                                             11. धामन्या घाट - यहां पर ताप्ती नदी को सड़क मार्ग के द्वारा भीमपुर - भैसेदही जाते समय पार किया जाता है। यहां पर भी नदी के दोनो किनारे घाटो का निमार्ण नहीं हो सका है।12. घोघरा घाट - भीमपुर से कुनखेड़ी को जोडऩे वाला सडक मार्ग है। यहां पर काफी गहरे डोह है जिसमें ताप्ती दुग्ध धार के रूप में कलकल बहती है। यहां पर भी यहां पर नदी के दोनो किनारे घाटो का निमार्ण नहीं हो सका है।                                                     13. सुखवान - ताप्ती नदी के किनारे जंगल में बाबा भोलेनाथ का जागृत स्थान है यहां पर भी नदी के दोनो किनारे घाटो का निमार्ण नहीं हो सका है।                                   14. नहरपुर - प्रतिवर्ष जन्मोत्सव से लेकर अन्य माह में मेला भरा रहता है। यहां पर भी नदी के दोनो किनारे घाटो का निमार्ण नहीं हो सका है।                                      15. खुर्दा घाट -  यहां पर नदी के दोनो किनारे घाटो का निमार्ण नहीं हो सका है।               16. देवलघाट - यहां पर नदी के दोनो किनारे घाटो का निमार्ण नहीं हो सका है।         17. झाकस घाट - यहां पर नदी के दोनो किनारे घाटो का निमार्ण नहीं हो सका है। 


 
ADVERTISMENT : जिन माता सेवा समिति सूरत द्वारा भेजी गई 108 मीटर लम्बी चुनरी बारहलिंग पहुंची                               

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