मुलताई भारत के मध्य प्रदेश राज्य में बैतूल जिले का एक शहर[है मुलताई जिसे मुलतापी के नाम से भी जाना जाता हैं यह शहर सुर्य पुत्री पुण्य सलीला माँ ताप्ती का उद्गम स्थल हैं। मान्यता यह हैं की माँ ताप्ती का जन्म मुल्ताई के नारद टेकरी नामक स्थान से हुआ हैं मुल्ताई के निकट प्रभात पट्टन और बेतुल प्रमुख शहर है। यह मुल्ताई मध्य-प्रदेश . के दक्षिणी क्षेत्रों में आता है और सतपुड़ा पठार क्षेत्र का लगभग आधा क्षेत्र इसके अन्तर्गत्त आता है। कस्बे के कई गांवों के फ़ैलाव सहित सतपुड़ा क्षेत्र में उत्तरी ओर नर्मदा घाटी और दक्षिण के मैदानों के बीच काफ़ी फ़ैला हुआ है। इसके पश्चिमी ओर निमार (पूर्वी) और अमरावती जिलों के बीच वन क्षेत्र का विस्तार है। यह कस्बा ताप्ती नदी के उत्तरी तट पर स्थित है और इस नदी का मूलस्थान भी है।मुलताई का मूल नाम मूलतापी था, तापी नदी के उद्गम या मूलस्थान होने के कारण पड़ा था। मराठा एवं ब्रिटिश राज के समय मुलताई क्षेत्रीय मुख्यालयों में से एक रहा है और जो उत्तर में जिला मुख्यालय से और दक्षिण में महाराष्ट्र के नागपुर जिला मुख्यालय को जोड़ता है। मुल्ताई की भौगोलिक निर्देशांक स्थित 21.77°N 78.25°E है। यहां की औसत ऊंचाई 749 मीटर (2457 फ़ीट) है। मुल्ताई के उत्तर में आमला और दक्षिण में महाराष्ट्र का अमरावती जिला है। इसके पूर्व में छिंदवाड़ा जिला और पश्चिम में बैतूल जिला हैं। नगर की दक्षिणी सीमा मेलघाट शृंखला की तराई में फ़ैली है, किन्तु अमरावती के हट्टी घाट एवं चिकल्दा इसकी सीमा से बाहर हैं। नगर जम्बादी से ६ किमी, सण्डिया से ७ किमी, सिरसावाड़ी से ७ किमी, कर्पा से ८ कि.मी, नरपा से ९ कि.मी है। ये यहां के मुख्य ग्राम हैं। मुल्ताई कस्बे के दक्षिण में प्रभात पट्टन तहसील, उत्तर में आमला तहसील, दक्षिण में वरूड़ तहसील एवं पूर्व में पादुर्णा तहसील स्थित हैं।
मुल्ताई भारत की बड़ी नदी ताप्ती का उद्गम होने के कारण एक हिन्दू धामिक क्षेत्र भी है। हिन्दू मान्यता अनुसार ताप्ती माता भगवान सूर्य की पुत्री हैं। ताप्ती माता के यहां दो प्रमुख मन्दिर हैं एक प्राचीन मन्दिर और एक नवीन मन्दिर। ताप्ती नदी की जयन्ती के दिन यहां अखण्ड सप्तमी ताप्ती जन्मोत्सव मनाय़ा जाता है और शहर को सजाय़ा जाता है। इसके अलावा यहां कई भगवान शिव, हनुमान आदि हिन्दू भगवानों के मन्दिर भी हैं।
2001 के अनुसार के भारतीय जनगणना अनुसार, मुल्ताई कस्बे की कुल जनसंख्या २१,४२८ है। इसमें ५२% पुरुष एवं ४८% स्त्रियां हैं। यहां की साक्षरता दर ७४% है जो राष्ट्रीय दर ५९.५% से कहीं अधिक है। इनमें पुरुष साक्षरता दर ७९% एवं स्त्री साक्षरता दर ६८% हैं। यहां की १३% जनसंख्या ६ वर्ष की आयु से कम की है। मुल्ताई अपने पड़ोसी क्षेत्रों से भली-भांति रेल एवं सड़क मार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। निकटतम विमानक्शःएत्र नागपुर है जो 120 कि.मी है एवं मुल्ताई से बस एवं टैक्सी सेवाओं द्वारा जुड़ा हुआ है। नगर में बहुरंगी संस्कृति दिखाई देती है जिसका कारण यहां कई धर्म एवं परम्पराओं का संगम है। जिले के उत्तरी भाग में बुन्देलखंडी भाषा एवं संस्कृति की झलक दिखाई देती है तो दक्षिणी क्षेत्रों में मराठी भाषा एवं संस्कइतु बहुल है। शेष जिला मुख्यतः जनजातीय क्षेत्र है जिनमें गोंड एवं खोरकू मुख्य हैं जो बाबा महादेव को पूजते हैं तथा अनेक अंधविश्वासों एवं प्रथाओं के साथ पशु बलि तक देते हैं। ये लोग अभी तक प्राकृतिक चिकित्सा एवं जड़ी-बूटियों पर ही निर्भर हैं।
यहां के मुख्य धर्मों में हिन्दू धर्म आता है, जिसके साथ ही यहां मुस्लिम, सिख, जैन एवं ईसाई लोग भी रहते हैं। प्रमुख जातियों में किराड़, गोंड, खोरकु, कुर्मी, कुन्बी, पवार, मेहरा, चमार, बनिये एवं राजपूत हैं। बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी, गोंडी, मराठी एवं खोर्कू हैं।
सूर्यपुत्री माँ ताप्ती नदी उद्गम स्थल मुलताई बैतूल जिला एवं मध्यप्रदेश में पर्यटन का मुख्य केन्द्र है। ताप्ती नदी जिसे तापी भी कहते हैं, भारत की प्रधान नदियों में से एक है। नदी की कुल लम्बाई ७२४ कि.मी है और यह भारत के मध्य क्षेत्र से बहती है। नदी का उद्गम स्थल मुल्ताई ही है जो सतपुड़ा शृंखला में सागर सतह से ७५२ की ऊंचाई पर स्थित है। तापी नदी मध्य भारत से बहती हुई पश्चिमी सागर तट पर सागर में मिलती है। मध्य प्रदेश के अलावा ये नदी महाराष्ट्र एवं गुजरात में भी बहती है तथा अरब सागर में इसका संगम है। तापी नदी का घाटी क्षेत्र कुल 65, 145 वर्ग कि.मी है जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का २% है। नदी की मुख्य सहायक नदियों में पूर्णा, गिर्णा, पन्झारा, वाघूर, बोरी तथा आनेर नदियां हैं।