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पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली ताप्ती नदी पश्चिमी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है. इसे सूर्यपुत्री और तापी के नाम से भी जाना जाता है. ताप्ती नदी का उद्गम मध्य- प्रदेश के बैतूल जिले के मूलताई (मूलतापी) नामक स्थान पर सतपुड़ा पर्वत श्रेणी से होता है, यह क्षेत्र दक्कन के पठार के अंतर्गत आता है. यह नदी म.प्र., महाराष्ट्र व गुजरात राज्य की सीमाओं में फैली हुई है. ताप्ती नदी अपने सफ़र के अंत में खंभात की खाड़ी, अरब सागर में मिल जाती है. नदी पर काकडापार और उकाई नामक दो प्रमुख बांध बने हुए हैं.
ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व –
सूर्यपुत्री ने नाम से जानी जाने वाली ताप्ती नदी भारत की प्राचीनतम नदियों में से एक है. जिसका कई धार्मिक ग्रंथों महाभारत, विष्णुपुराण, स्कन्दपुराण व श्रीमद्भागवत आदि में महिमामंडन किया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस नदी को सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की पुत्री व शनि देव की बहन माना जाता है. इसके अलावा रामायणकालीन इतिहास के आधार पर राजा दशरथ को श्रवण कुमार के शाप के चलते मुक्ति न मिलने पर उनके पुत्र भगवान श्रीराम ने बारहलिंग नामक स्थान पर ताप्ती नदी के तट पर ही अपने पिता का तर्पण कार्य किया था.
सप्त कुंड –
विभिन्न जिलों में ताप्ती नदी के तट पर सात कुंड बने हुए हैं, जिनको लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं –
1. सूर्य कुण्ड
2. धर्म कुण्ड
3. ताप्ती कुण्ड
4. शनि कुण्ड
5. नारद कुण्ड
6. पाप कुण्ड
7. नागा बाबा कुण्ड
मान्यता है कि सूर्य कुंड में स्वयं सूर्य देव व धर्म कुंड में धर्मराज यमराज ने स्नान किया था. इसी प्रकार अन्य पांच कुंड़ों के बारे में भी अलग- अलग कथाएं प्रचलित हैं.
प्रवाह क्षेत्र –
मूलतापी से निकलने के बाद ताप्ती नदी सतपुड़ा की दो पर्वत श्रेणियों के बीच में बहती हुई आगे बढ़ती है. म.प्र. में बहने के बाद यह पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होती है तथा महाराष्ट्र राज्य में प्रवेश करती है. महाराष्ट्र में ताप्ती नदी कई प्रमुख जिलों नासिक, नंदुरबार, अमरावती, अकोला से बहते हुए हुए आगे की यात्रा तय करती है. जलगांव में यह नदी खानदेश के पठार से गुजरात राज्य की सीमा की ओर बहने लगती है, जो कि गुजरात के विस्तृत भूभाग में फैली हुई है. यह नदी नर्मदा नदी के समांतर बहते हुए एस्चुरी डेल्टा का निर्माण करती है. 

 


 
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