ताप्ती नदी ताप्ती का संस्कृत में तापी और मराठी में तापी नाम से पुकारा जाता है। पूरा गुजरात ताप्ती को गुजराती भाषा में तापी नाम से पुकारते है। पश्चिमी भारत की सबसे बड़ी प्रसिद्ध नदी है। यह मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल जिले के मुलतापी से निकलकर ढलान से पहाड़ की ओर बहने वाली एक मात्र नदी है जो अपने वेग के एवं प्रवाह के चलते बड़े - बड़े पहाड़ो एवं कंदराओ तथा पत्थरीलें रास्तो को चीरती हुई पश्चिम की ओ बहती है। ताप्ती अग्रि तोड़ा में अपनी दिशा से विमुक्त होकर पूर्व की ओर भी बह रही है, शायद इसलिए मकर संक्राति पर पूर्व मूखी ताप्ती के तट पर लोग स्नान करने जाते है। इस स्थान को सूरज मूखी और सूर्यमूखी भी कहते है। सतपुड़ा पर्वत प्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई ताप्ती विश्व की एक मात्र ऐसी नदी है जो के जन्मस्थल जिला में 250 कि.मी. सर्पाकार बहने के कारण एक अजूबा रिकार्ड अपने नाम दर्ज करती है। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के बाद ताप्ती महाराष्ट्र के खानदेश के पठार एवं सूरत के मैदान को पार करती हुई कच्छ के सूरत महानगर में भड़ौच के पास खम्बात की खाड़ी (अरब सागर) में मिलती है। यह भारत की उन मुख्य नदियों में है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती हैं, अन्य दो हैं नर्मदा नदी और माही नदी का भी नाम शामिल है। माही नर्मदा की सहायक नदी है। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 725 किलोमीटर की दूरी तक बहती है। सूरत बन्दरगाह इसी नदी के मुहाने पर स्थित है। इसकी प्रधान उपनदी का नाम पूर्णा है। इस नदी को चन्द्र पुत्री कहा जाता है। समुद्र के समीप इसकी 32 मील की लंबाई में ज्वार आता है, किंतु छोटे जहाज इसमें चल सकते हैं। पुर्तगालियों एवं अंग्रेजों के इतिहास में इसके मुहाने पर स्थित स्वाली बंदरगाह का बड़ा महत्व है। गाद जमने के कारण अब यह बंदरगाह उजाड़ हो गया है। ताप्ती नदी का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में मुलताई नामक स्थान है। इस स्थान का मूल नाम मूलतापी है जिसका अर्थ है तापी का मूल या तापी माता। हिन्दू मान्यता अनुसार ताप्ती को सूर्य एवं उनकी एक पत्नी छाया की पुत्री माना जाता है और न्याय के देपता शनि की सगी बहन है। थाईलैंड की तापी नदी का नाम भी अगस्त 1915 में भारत की इसी ताप्ती नदी के नाम पर ही रखा गया है। महाभारत ए स्कंद पुराण एवं भविष्य पुराण में ताप्ती नदी की महिमा कई स्थानों पर बतायी गई है। महाराष्ट्र में धूले के पास मुदावाड़ में ताप्ती नदी के तट पर कपिलेश्वर मंदिर बना हुआ है। ताप्ती नदी की घाटी का विस्तार कुल 65.145 कि.मी.में है, जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 2 प्रतिशत है। यह घाटी क्षेत्र महाराष्ट्र में 51.504 किण्मी²ए मध्य प्रदेश में 9.804 कि.मी. एवं गुजरात में 3.837 कि.मी. है। ये घाटी अधिकतर महाराष्ट्र के उत्तरी एवं पूर्वी जिलों जैसे अमरावती,अकोला, बुल्ढाना , वाशिम,जलगांव, धुले, नंदुरबार, नासिक में फैली है, साथ ही मध्य प्रदेश के बैतूल और बुरहानपुर तथा गुजरात केसूरत एवं तापी जिलों में इसका विस्तार है। ताप्ती की सहायक नदियों ताप्ती नदी की प्रधान सहायक नदियां है पूर्णा, मिन्धोला, गिरना, पन्जारा, वाघूर, बोरी एवं आनेर। इनके अलाव अन्य छोटी सहायक नदियो में अरुणावती नदी, शिरपुर , गोमती नदी, नन्दुरबार,वाकी नदी, धुले जिला महाराष्ट्र बुरई नदी, धुले पन्ज़ारा नदीए जलगांव एवं धुले जिले कान नदी, धुलेबोरी नदी, जलगांव नेर नदी, जलगांव एवं धुलेगरना नदी, नासिक, मालेगांव एवं जलगांव जिले। ये नदी ताप्ती में धुले एवं जलगांव जिलों की सीमा पर कपिलेश्वर में मिलती है। तितूर नदी, जलगांव, मौसम नदी, मालेगांव वाघूर नदी, जलगांव, औरंगाबाद पूर्णा नदी, अमरावती, अकोलाए बुल्धाना एवं जलगांव जिले महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश सहित गुजरात राज्य की यह प्रमुख नदी ताप्ती में चांगदेव बैतूल जिले से आई पूर्णा नदी के संग संगम करती है। ताप्ती में जिन नदियों का जल समाहित होता है उनमे नलगंगा नदी, बुल्ढाना, विश्वगंगा नदी बुल्ढाना, निपणी नदी बुल्ढाना, मान नदी, बुल्ढाना अकोला, मास नदी, बुल्ढाना उतावली नदी, बुल्ढाना,अकोला विश्वमित्री नदी, अकोलानिर्गुण नदी, वाशिमअकोला, गांधारी नदी अकोला, आस नदी अकोला, वान नदी बुल्ढाना, अकोला अमरावती जिले की मोरना नदी, अकोला वाशिम शाहनूर नदी अकोला, अमरावती जिले की भावखुरी नदी, अमरावती पूर्णा नदी, अकोला वाशिम उमा नदी, अकोला वाशिम, पेन्ढी नदी अकोला एवं अमरावती चंद्रभागा नदी अमरावती भूलेश्वरी नदी, अमरावती आर्णा नदी, अमरावती गादग नदी, अमरावती, सिपना नदी, अमरावती,खापरा नदी अमरावती, खांडू नदी अमरावती, तिगरी नदी अमरावती, सुरखी नदी अमरावती , बुर्शी नदी अमरावती इसी तरह बैतूल जिले की गंजाल नदी, चिल्लौर नदी, तवा नदी, अम्भोरा नदी, तथा गुजरात में नेसु नदी सूरत जिला में मिलती है। ताप्ती नदी के ऊपरी पाषाण युग के गुफा भित्ति चित्रों की नयी खोज मध्य भारत क्षेत्र में ताप्ती नदी घाटी में की गई है। नदी के तटवर्ती प्रमुख शहरों में आते हैं, मुलताई, नेपानगर, बैतूल और बुरहानपुर मध्य प्रदेश मेंए तथा भुसावल महाराष्ट्र्र में एवं सूरत और सोनगढ़ गुजरात में है। नदी पर प्रमुख मार्ग सेतुओं में धुले के सवालदे का राष्ट्रीय राजमार्ग 3 एवं भुसावल - खंडवा रेलमार्ग का भुसावल रेल सेतु जो मध्य रेलवे में आता है। इस नदी पर जलगांव में हथनूर बांध एवं सोनगढ़ में उकई बांध भी बने हैं। सूरत एवं कमरेज में 3 सेतु तथा राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर सूरत सहित 10 सेतु बने हैं जिनमें से दो निर्माणाधीन हैं। इनमें से एक गुजरात में रज्जु सेतु भी है। इनके अलावा प्रकाशा और सारंगखेड़ा के निकट शहादा में छोटे छोटे बैराज भी बने हैं। सांडिल ऋषि आश्रम सांडिया,त्रिवेणी संगम श्रवण तीर्थ कूटखेड़ी, पौनी गौली, कपील ऋषि आश्रम पारसडोह, ब्रह्मलीन संत गैरीबदास महाराज आश्रम शिवधाम बारहलिंग, तपेश्वर बारह ज्योर्तिलिंग , अर्धकुंभ प्रकाशा एक पवित्र हिदू तीर्थ भी है जो ताप्ती का तटवर्ती शहर है और यहां भगवान शिव का एक मन्दिर केदारेश्वर है। ताप्ती के किनारे बसे बुरहानपुर में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा असीरगढ़ के किले में अपनी मौजूदगी का अहसास करवा चुके है।
|